Birla Mandir Bhopal

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लक्ष्मी नारायण बिरला मंदिर का इतिहास-   भोपाल में बिरला मंदिर के नाम से विख्‍यात लक्ष्मीनारायण मंदिरभोपाल के मालवीय नगर क्षेत्र में, अरेरा पहाडियों के निकट बनी झील के दक्षिण में स्थित है। मंदिर के निकट ही एक संग्रहालय बना हुआ है जिसमें मध्‍यप्रदेश के रायसेन, सीहोर, मंदसौर और शहडोल आदि जगहों से लाई गईं मूर्तियां रखी गईं हैं.

मंदिर की स्थापना-  जानकारों के अनुसार इस मंदिर का शिलान्यास वर्ष 1960  में मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ॰ कैलाशनाथ काटजू ने किया था और उद्‍घाटन वर्ष 1964  में मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्र के हाथों संपन्न हुआ.

मंदिर का सुन्दर दर्शन- भोपाल के अरेरा पहाड़ी पर पाँच दशक पूर्व स्थापित बिड़ला मंदिर वर्षों से धार्मिक आस्था का केन्द्र रहा है। मंदिर में स्थापित भगवान श्रीहरि विष्णु एवं लक्ष्मीजी की मनोहारी प्रतिमाएँ श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकृष्ट कर रही हैं। करीब 7-8  एकड़ पहाड़ी क्षेत्र में फैले इस मंदिर की ख्याति देश व प्रदेश के विभिन्न शहरों में फैली हुई है।
मंदिर के अंदर विभिन्न पौराणिक दृश्यों की संगमरमर पर की गई नक्काशी दर्शनीय तो है ही, उन पर गीता व रामायण के उपदेश भी अंकित हैं।

मंदिर के अंदर विष्णुजी व लक्ष्मीजी की प्रतिमाओं के अलावा एक ओर शिव तथा दूसरी ओर माँ जगदम्बा की प्रतिमा विराजमान हैं। मंदिर परिसर में हनुमानजी एवं शिवलिंग स्थापित हैं।
वहीं मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार के सामने बना विशाल शंख भी दर्शनीय है। मंदिर की स्थापना के समय पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश नाथ ने बिड़ला परिवार को शहर में उद्योग स्थापित करने के लिए जमीन देने के साथ ही यह शर्त भी रखी थी कि वह इस दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में एक भव्य तथा विशाल मंदिर का निर्माण करवाएँ। मंदिर के उद्‍घाटन के समय यहाँ विशाल विष्णु महायज्ञ भी आयोजित किया गया था, जिसमें अनेक विद्वानों व धर्म शास्त्रियों ने भाग लिया था। आज भी यह मंदिर जन आस्था का मुख्य केन्द्र बिन्दु है। जन्माष्टमी पर यहाँ श्रीकृष्ण जन्म का मुख्य आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होकर विष्णु की आराधना करते है।


7.5 एकड़ में फैला हुआ है और सुन्दर बगीचों के विशाल खंडों से घिरा हुआ है, जो कि अपने 
पुराने विश्व आकर्षण का केन्द्र  है, बिड़ला मंदिर भोपाल एक ऐसा स्थान है, जिसके आकर्षण से भक्त और पर्यटक आकर्षित होते है। जन्माष्टमी और दिवाली जैसे त्योहारों के उत्सव के लिए हजारों श्रद्धालु इस स्थान पर पहुंचते हैं। भोपाल में बिड़ला मंदिर का नाम बिड़ला परिवार के नाम पर रखा गया है, जो प्रमुख उद्योगपति हैं, जिन्होंने मंदिर का निर्माण किया और अब इसे पूरी श्रद्धा के साथ बनाए हुए हैं। मुख्य रूप से, मंदिर को लक्ष्मी नारायण मंदिर के रूप में जाना जाता था।

कई लोग भोपाल के ऐतिहासिक शहर के विहंगम दृश्य को देखने के लिए यहां आते हैं, हालांकि, कई लोग अपने जवाब के लिए एकांत और सवाल खोजने के लिए यहां आते हैं। मंदिर में  अच्छी तरह से बनाए रखा लॉन पानी के झरने के स्थानों के साथ झरने से भरा हुआ है और भव्य खिलने वाले पौधों की एक विस्तृत श्रृंखला ध्यान और पूजा के लिए एकदम सही जगह है। मंदिर की दीवारों का रेतीला पीला रंग वास्तव में पुराने विश्व आकर्षण को दर्शाता है।
भोपाल में प्रसिद्ध बिड़ला मंदिर में दर्शन करने वाले, आध्यात्मिक यात्रा करने वाले और पहाड़ी से ऊपर जाने वाले तेजस्वी शहर के दौरे पर जाते हैं। बिड़ला मंदिर का दौरा किए बिना भोपाल की यात्रा अधूरी है। भोपाल एक प्राचीन शहर है, जिसमें कई आकर्षक पर्यटक आकर्षण हैं, जिसमें समृद्ध संस्कृति और विरासत का इतिहास भी मिल सकता है।


समय: मंदिर हर दिन सुबह 06:30 बजे से शाम 07:00 बजे तक पूजा के लिए खुला रहता है.

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