रानी कमलापति भोपाल किला






भोपाल :- कमलापति महल का निर्माण करीब तीन सौ साल पहले किया गया था। वर्ष 1722 में बने इस महल से दोनों झीलों का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है। 7 मंजिला इस भवन की कुछ मंजिलें पानी में डूबी हुई हैं। रानी का शाही कमरा भी पानी के भीतर है। कभी इस महल के सामने बाग हुआ करता थे, लेकिन पानी में डूबने की वजह से आज यह छोटी झील बन गई है. 

कमलापति ने बनवाया था महल-
-समय के साथ यह महल जर्जर होता गया, लेकिन बाद इसके जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया गया।
-बाहर से पुट्टी भरने और रंग-राेगन के बाद यह चमचमाने लगा है। यह अपने गौरवशाली इतिहास की कहानी खुद बयां करता है।
-यह महल 18वीं सदी के प्रारंभ में बनना शुरू हुआ था। इसे रानी कमलापति ने बनवाया था, इसलिए इसका नाम कमलापति महल पड़ा।
- रानी कमलापति गिन्नौरगढ़ के राजा निजाम शाह की पत्नी थीं।

इस महल की कुछ मंजिल पानी में डूबी हैं।
सात मंजिला महल-
 
-यह महल दो मंजिला ऊपर है, जबकि तालाब के भीतर इसकी पांच मंजिलें हैं।
-लखौरी ईंटों और मिट्टी से इस महल का निर्माण किया गया है।
-इस महल के नीचे के हिस्से में भारी-भरकम पत्थरों का आधार तैयार किया गया था, ताकि यह झील के पानी में धंस न जाए।


सबसे निचले हिस्से में था शाही कमरा-
 
-महल में शाही कमरे के ऊपर भव्य कमरा था जहां रानी अपने परिवार के साथ बैठा करती थी।
-छोटी झील की तरफ सबसे निचले हिस्से में था शाही कमरा। इसके ऊपर पानी की टंकी से लगातार पानी छोड़ा जाता था, जिससे गर्मी के माैसम में भी बारिश का अहसास होता था।
-वर्ष 1989 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा इसे संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया गया।
-भोपाल राज्य के तत्कालीन चीफ कमिश्नर के आदेश पर महल के खुले परिसर में सुंदर बगीचा बनाया गया। 

यह है इतिहास-

-देश में मुगल साम्राज्य के पतन के बाद चकला गिन्नौर में गौंड राजा निजाम शाह का राज्य था।
-उनकी सात रानियों में से एक कमलापति भी थीं। वे खूबसूरत होने के साथ बुद्धिमान और साहसी भी थी।
-बताया जाता है निजाम शाह को धोखे से जहर देकर उसके भतीजे चैनशाह ने मार डाला। तब रानी कमलापति अपने बेटे के साथ भागकर भोपाल आ गई।

फव्वारा और रेस्टोरेंट भी-
 
-महल के परिसर में एक विशाल पार्क बना हुआ है, जिसमें हरी घास और पेड़-पौधे लगे हुए हैं।
-पार्क में ही आकर्षक फव्वारे लगाए गए हैं। इसके अलावा यहां एक रेस्टॉरेंट है, जहां पर्यटक खान-पान का मजा लेते हैं।
-शाम के समय यहां पर मेला सा लगा रहता है। पुराने और नए भोपाल के लोग शाम की ठंडी-ठंडी बयार का आनंद लेने यहां आते हैं।
-गर्मियों में यहां लोग सुकून की नींद लेते हैं। इसे पुराने और नए भोपाल को जोड़ने वाले सेतु के नाम से भी इसे जाना जाता है।

नाम भी बदले-

-समय बीतने के साथ इसे नाम भी बदलते गए।
-कभी इसे भोजपाल का महल तो कभी जहाज महल भी कहा जाता था।
-इसकी एक वजह यह है कि राजा भोज के कार्यकाल 1010 से 1055 ईसवी में निर्मित बड़ी झील के बांध् के ऊपर इसे बनाया गया है।
-बताया जाता है कि प्राचीन काल में रात के समय महल को रोशन करने के लिए उसकी खिड़कियों और रोशनदान में मशालें जला कर रखी जाती थीं।
-इसका प्रतिबिंब बड़ी झील में जहाज की तरह नजर आता था।

रानी ने दी थी पति के कातिल को मरवाने की 'सुपारी'- 
 
- कहा जाता है कि दोस्त मोहम्मद खान की मदद से रानी कमलापति ने अपने पति के कातिल को मरवाया था।
-इसके बदले दोस्त मोहम्मद को जो धन देना था, रानी वह दे नहीं पाई। तब अपनी रियासत का कुछ हिस्सा उसे दिया गया। 





रानी कमलापति का महल।
- कहा जाता है कि दोस्त मोहम्मद खान ने जब रानी कमलापति को जबरदस्ती पाना चाहा तो कमलापति के बेटे नवल शाह से उसका युद्ध हुआ। यह युद्ध लालघाटी के पास हुआ था। उसमें नवलशाह मारा गया। 
-तब रानी ने छोटे तालाब की ओर वाले भाग को पानी से डुबो दिया ताकि उसके शरीर को कोई पा न सके। उसी के बाद महल की नीचे की मंजिल पानी में डूबी, जिसमें रानी का शाही कमरा भी था।

                        भोज के बनवाए बांध पर बना है रानी कमलापति का महल।राजा भोज के बनवाए बांध पर बना है रानी कमलापति का महल।गोंडकालीन इतिहास है महल का।छोटी झील की जगह पहले यहां बाग हुआ करते थे।


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1 Comments

Unknown said…
Thanks for the details