“एक नयी शुरुआत” आपकी जिंदगी बदल सकता हैं-
जीवन (Life) में हमारे पास अपने लिए मात्र 3500 दिन (9 वर्ष व 6 महीने) ही होते है!
वर्ल्ड बैंक ने एक इन्सान की औसत आयु 78 वर्ष मानकर यह आकलन किया है, जिसके अनुसार हमारे पास अपने लिए मात्र 9 वर्ष व 6 महीने ही होते है। इस आकलन के अनुसार औसतन 29 वर्ष सोने में, 3-4 वर्ष शिक्षा में, 10-12 वर्ष रोजगार में, 9-10 वर्ष मनोरंजन में, 15-18 वर्ष अन्य रोजमरा के कामों में जैसे खाना पीना, यात्रा, नित्य कर्म, घर के काम इत्यादि में खर्च हो जाते है। इस तरह हमारे पास अपने सपनों को पूरा करने व कुछ कर दिखाने के लिए मात्र 3500 दिन अथवा 84,000 घंटे ही होते है।
“संसार की सबसे मूल्यवान वस्तु समय ही है”। लेकिन वर्तमान में ज्यादातर लोग निराशामय जिंदगी जी रहे है और वे इंतजार कर रहे होते है कि उनके जीवन में कोई चमत्कार होगा, जो उनकी निराशामय जिंदगी को बदल देगा। वह चमत्कार आज व अभी से शुरू होगा और उस चमत्कार को करने वाले व्यक्ति आप ही है, क्योंकि उस चमत्कार को आप के अलावा कोई दूसरा व्यक्ति नहीं कर सकता।
इस शुरुआत के लिए हमें अपनी सोच व मान्यताओ को बदलना होगा, क्योंकि “हमारे साथ वही होता है जो हम मानते है।”
वैज्ञानिकों के अनुसार भौंरे का शरीर बहुत भारी होता है, इसलिए विज्ञान के नियमो के अनुसार वह उड़ नहीं सकता। लेकिन भौंरे को इस बात का पता नहीं होता एंव वह यह मानता है की वह उड़ सकता है इसलिए वह उड़ पाता है।
सबसे पहले हमें इस गलत धारणा को बदलना होगा कि हमारे साथ वही होता है जो भाग्य में लिखा होता है।क्योंकि ऐसा होता तो आज हम ईश्वर की पूजा न कर रहे होते बल्कि उन्हें बदुआएं दे रहे होते।
हमारे साथ जो कुछ भी होता है उसके जिम्मेदार हम स्वंय होते है,इसलिए खुश रहना या ना रहना हम पर ही निर्भर करता है।
“भगवान उसी की मदद करते है जो अपनी मदद खुद करता है”
अगर कोई व्यक्ति यह सोचता है की हमारे साथ जो कुछ भी होता है, वह हमारे हाथ में नहीं है तो वह व्यक्ति इस गलत धारणा को बदल दे।
जीवन के नियम :-
हम एक नयी शुरुआत करने जा रहे है और इसके लिए हमें कुछ नियमो का पालन करना होगा। ये नियम आपकी जिंदगी बदल देंगे.
आत्मविश्वास :-
आत्मविश्वास से आशय “स्वंय पर विश्वास एंव नियंत्रण” से है। हमारे जीवन में आत्मविश्वास का होना उतना ही आवश्यक है जितना किसी फूल में खुशबू (सुगंध) का होना, आत्मविश्वास के बगैर हमारी जिंदगी एक जिन्दा लाश के समान हो जाती है। कोई भी व्यक्ति कितना भी प्रतिभाशाली क्यों न हो वह आत्मविश्वास के बिना कुछ नहीं कर सकता। आत्मविश्वास ही सफलता की नींव है, आत्मविश्वास की कमी के कारण व्यक्ति अपने द्वारा किये गए कार्य पर संदेह करता है। आत्मविश्वास उसी व्यक्ति के पास होता है जो स्वंय से संतुष्ट होता है एंव जिसके पास दृड़ निश्चय, मेहनत व लगन, साहस, वचनबद्धता, आदि संस्कारों की सम्पति होती है।
आत्मविश्वास कैसे बढाएं:-
स्वंय पर विश्वास रखें, लक्ष्य बनायें एंव उन्हें पूरा करने के लिए वचनबद्ध रहें। जब आप अपने द्वारा बनाये गए लक्ष्य को पूरा करते है, तो यह आपके आत्मविश्वास को कई गुना बढ़ा देता है।
खुश रहें, खुद को प्रेरित करें, असफलता से दुखी न होकर उससे सीख लें क्योंकि “experience हमेशा bad experience से ही आता है” .
सकारात्मक सोचें, विनम्र रहें एंव दिन की शुरुआत किसी अच्छे कार्य से करें। इस दुनिया में नामुनकिन कुछ भी नहीं है. आत्मविश्वास का सबसे बड़ा दुशमन किसी भी कार्य को करने में असफलता होने का “डर” Failure है।एंव डर को हटाना है तो वह कार्य अवश्य करें जिसमें आपको डर लगता है।
सच बोलें, ईमानदार रहें, धूम्रपान न करें, प्रकृति से जुड़े, अच्छे (Good) कार्य करें , जरुरतमंद की मदद करें। क्योंकि ऐसे कार्य आपको सकारात्मक शक्ति देते हैं, वही दूसरी ओर गलत कार्य एंव बुरी आदतें हमारे आत्मविश्वास को गिरा देते हैं।
वह कार्य करें जिसमें आपकी रुचि हो एंव कोशिश करें कि अपने करियर को उसी दिशा में आगे ले जिसमें आपकी रुचि हो।
वर्तमान में जियें, सकारात्मक सोचें, अच्छे मित्र बनायें, बच्चों से दोस्तीं करें, आत्मचिंतन करें।
स्वतंत्रता :-
स्वतंत्रता का अर्थ स्वतन्त्र सोच एंव आत्मनिर्भरता से हैं।
“हमारी खुशियों का सबसे बड़ा दुश्मन निर्भरता ही है एंव वर्तमान में खुशियाँ कम होने का कारण निर्भरता का बढ़ना ही है”.
“सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग ”:-
ज्यादातर लोग कोई भी कार्य करने से पहले कई बार यह सोचते है की वह कार्य करने से लोग उनके बारे में क्या सोचेंगे या क्या कहेंगे और इसलिए वे कोई निर्णय ले ही नहीं पाते एंव सोचते ही रह जाते है एंव समय उनके हाथ से पानी की तरह निकल जाता है। ऐसे लोग बाद में पछताते हैं।इसलिए ज्यादा मत सोचिये जो आपको सही लगे वह कीजिये क्योंकि शायद ही कोई ऐसा कार्य होगा जो सभी लोगों को एक साथ पसंद आये।
अपनी ख़ुशी को खुद नियंत्रण कीजिये:-
अपनी ख़ुशी को खुद नियंत्रण कीजिये:-
वर्तमान में ज्यादातर लोगों की खुशियाँ परिस्थितियों पर निर्भर हैं। ऐसे लोग अनुकूल परिस्थिति में खुश एंव प्रतिकूल परिस्थियों में दुखी हो जाते है। उदाहरण के लिए अगर किसी व्यक्ति का कोई काम बन जाता है तो वह खुश एंव काम न बनने पर वह दुखी हो जाता है। दोस्तों हर परिस्थिति में खुश रहें क्योंकि प्रयास करना हमारे हाथ में है लेकिन परिणाम अथवा परिस्थिति हमारे हाथ में नहीं है। परिस्थिति अनुकूल या प्रतिकूल कैसी भी हो सकती है लेकिन उसका response अच्छा ही होना चाहिए क्योंकि response करना हमारे हाथ में है।
आत्मनिर्भर बनें:-
आत्मनिर्भर बनें:-
निर्भरता ही खुशियों की दुश्मन है, इसलिए जहाँ तक हो सके दूसरों से अपेक्षाएँ कम करें, अपना कार्य स्वंय करें एंव स्वालंबन अपनाएं दूसरों के कर्मों या विचारों से दुखी नहीं होना चाहिए, क्योंकि दूसरों के विचार या कर्म हमारे नियंत्रण में नहीं है।
“अगर आप उस बातों या परिस्थियों की वजह से दुखी हो जाते है जो आपके नियंत्रण में नहीं है तो इसका परिणाम समय की बर्बादी व भविष्य पछतावा है”
वर्तमान में जिएं :-
हमें दिन में 70,000 से 90000 विचार (thoughts) आते है और हमारी सफलता एंव असफलता इसी विचारों की गुणवता पर निर्भर करती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार ज्यादातर लोगों का 70% से 90% तक समय भूतकाल, भविष्यकाल एंव व्यर्थ की बातें सोचने में चला जाता है। भूतकाल हमें अनुभव देता है एंव भविष्यकाल के लिए हमें योजना करनी होती है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं की हम अपना सारा समय इसी में खर्च कर दें। दोस्तों हमें वर्तमान में ही रहना चाहिए और इसे अच्छा बनाना चाहिए क्योंकि न तो भूतकाल एंव न ही भविष्यकाल पर हमारा नियंत्रण है।
“अगर खुश रहना है एंव सफल होना है तो उस बारे में सोचना बंद कर दें जिस पर हमारा नियंत्रण न हो”
मेहनत एंव लगन :-
किसी विद्वान् ने कहा है की कामयाबी, मेहनत से पहले केवल शब्दकोष में ही मिल सकती है। मेहनत का अर्थ केवल शारीरिक काम से नहीं है, मेहनत शारीरिक व मानसिक दोनों प्रकार से हो सकती है। अनुभव यह कहता है की मानसिक मेहनत, शारीरिक मेहनत से ज्यादा मूल्यवान होती है।
“अगर आप उस बातों या परिस्थियों की वजह से दुखी हो जाते है जो आपके नियंत्रण में नहीं है तो इसका परिणाम समय की बर्बादी व भविष्य पछतावा है”
वर्तमान में जिएं :-
हमें दिन में 70,000 से 90000 विचार (thoughts) आते है और हमारी सफलता एंव असफलता इसी विचारों की गुणवता पर निर्भर करती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार ज्यादातर लोगों का 70% से 90% तक समय भूतकाल, भविष्यकाल एंव व्यर्थ की बातें सोचने में चला जाता है। भूतकाल हमें अनुभव देता है एंव भविष्यकाल के लिए हमें योजना करनी होती है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं की हम अपना सारा समय इसी में खर्च कर दें। दोस्तों हमें वर्तमान में ही रहना चाहिए और इसे अच्छा बनाना चाहिए क्योंकि न तो भूतकाल एंव न ही भविष्यकाल पर हमारा नियंत्रण है।
“अगर खुश रहना है एंव सफल होना है तो उस बारे में सोचना बंद कर दें जिस पर हमारा नियंत्रण न हो”
मेहनत एंव लगन :-
किसी विद्वान् ने कहा है की कामयाबी, मेहनत से पहले केवल शब्दकोष में ही मिल सकती है। मेहनत का अर्थ केवल शारीरिक काम से नहीं है, मेहनत शारीरिक व मानसिक दोनों प्रकार से हो सकती है। अनुभव यह कहता है की मानसिक मेहनत, शारीरिक मेहनत से ज्यादा मूल्यवान होती है।
कुछ लोग लक्ष्य तो बहुत बड़ा बना देते है लेकिन मेहनत नहीं करते और फिर अपने अपने लक्ष्य को बदलते रहते है। ऐसे लोग केवल योजना बनाते रह जाते है।
मेहनत व लगन से बड़े से बड़ा मुश्किल कार्य आसान हो जाता है। अगर लक्ष्य को प्राप्त करना है तो बीच में आने वाली बाधाओं को पार करना होगा, मेहनत करनी होगी, बार बार दृढ़ निश्चय से कोशिश करनी होगी।
“असफल लोगों के पास बचने का एकमात्र साधन यह होता है कि वे मुसीबत आने पर अपने लक्ष्य को बदल देते है।”
कुछ लोग ऐसे होते है जो मेहनत तो करते है लेकिन एक बार विफल होने पर निराश होकर कार्य को बीच में ही छोड़ देते है इसलिए मेहनत के साथ साथ लगन व दृढ़ निश्चय का होना भी अति आवश्यक है।
“अगर कोई व्यक्ति बार बार उस कार्य को करने पर भी सफल नहीं हो पा रहा तो इसका मतलब उसका कार्य करने का तरीका गलत है एंव उसे मानसिक मेहनत करने की आवश्यकता है।”
व्यवहारकुशलता:-
व्यवहारकुशल व्यक्ति जहाँ भी जाए वह वहां के वातावरण को खुशियों से भर देता है ऐसे लोगों को समाज सम्मान की दृष्टी से देखा जाता है। ऐसे लोग नम्रता व मुस्कराहट के साथ व्यवहार करते है एंव हमेशा मदद करने के लिए तैयार रहते है। शिष्टाचार ही सबसे उत्तम सुन्दरता है जिसके बिना व्यक्ति केवल स्वयं तक सीमित हो जाता है एंव समाज उसे “स्वार्थी” नाम का अवार्ड देता है।
“जब आपके मित्रों की संख्या बढने लगे तो यह समझ लीजिये कि आप ने व्यवहारकुशलता का जादू सीख लिया है।”
शिष्टाचारी व्यक्ति किसी भी क्षेत्र भी जाए वहा उनके मित्र बन जाते है जो उसके लिए जरुरत पड़ने पर मर मिटने के लिए तैयार रहते है।
चरित्र व्यवहारकुशलता की नींव है एंव चरित्रहीन व्यक्ति कभी भी शिष्टाचारी नहीं बन सकता। चरित्र, व्यक्ति की परछाई होती है एंव समाज में व्यक्ति को चहरे से नहीं बल्कि चरित्र से पहचाना जाता है। चरित्र का निर्माण नैतिक मूल्यों, संस्कारों, शिक्षा एंव आदतों से होता है।
व्यवहारकुशल व्यक्तियों की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है की वह हमेशा मदद के लिए तैयार रहते है।
वर्तालाप दक्षता, व्यवहारकुशलता का महत्वपूर्ण हिस्सा है। वाणी में वह शक्ति है जो वातावरण में मिठास घोल कर उसे खुशियों से भर सकती है या उसमे चिंगारी लगा कर आग भड़का सकती है।
शब्द संसार बदल सकते है-
सोच समझ कर बोलना, कम शब्दों में ज्यादा बात कहना, व्यर्थ की बातें न करना, अच्छाई खोजना, तारीफ़ करना, दुसरे की बात को सुनना एंव महत्त्व देना, विनम्र रहना, गलतियाँ स्वीकारना इत्यादि वार्तालाप के कुछ नियम है।
इन पांच नियमों में इतनी शक्ति है कि ये आपकी लाइफ बदल देंगे और आपके सपनों को हकीकत में बदलने की शक्ति जगाएंगे।
अंत में एक ही बात “जरूरतमंद की मदद कीजिये क्योंकि क्या पता कल आपको किसी की मदद की जरुरत हो”
what is influencer
what is influencer
0 Comments