बढ़ता डिजिटलीकरण-बढ़ती हिंदी

बढ़ता डिजिटलीकरण-बढ़ती हिंदी-

हमारी राजभाषा हिंदी का कुछ दशकों पहले तक हासियो पर टिकी हुई थी और अपने अ‍स्तित्‍व के लिए संघर्ष कर रही थी। पर आज समूचे विश्‍व में हिंदी भाषा अपने पंख पसार रही है। ऐसा समय हो पाया है डिजिटलीकरण के कारण। डिजिटलीकरण एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें किसी व्‍यवसायिक प्रक्रिया का विस्‍तार करने के डिजिटल माध्‍यम को चुना जाता है। जैसे रेलवे टिकट हो या बैंक खाता, बिल पेमेंट करना हो या खाना आर्डर करना हो सब ऑनलाइन हो जाता है इसमें कोई भी व्‍यवसाय अपना स्‍वरूप नही बदलता है बस ग्राहक की सुविधा एवं त्‍वरित सुविधा को ध्‍यान में रखकर नयी तकनीक के साथ व्‍यवसाय को अपडेट करता है। यही कहलाता है डिजिटलीकरण। यह डिजिटलीकरण से भिन्‍न है जैसे किसी सूचना को डिजिटल रूप में परिवर्तित करना है। जैसे किसी किताब को बंद करके उसे डिजिटल रूप में सुरक्षित कर लेना। डिजिटलीकरण एक सतत् प्रक्रिया है जो निरंतर चलती रहती है क्‍यूकि आज का समय डिजिटल युग का समय है सभी को अपना काम सुविधाजनक एवं त्‍वरित चाहिए। हर दिन ग्राहको को लुभाने वाले नए नए तकनीक इजाद हो रहे है जो ग्राहक को आसानी से समझ आये और बिना किसी झंझट के उसका काम भी तुरंत हो जाये।



 ऐसे में इस डिटिजल युग में जिसनें खुद को अपडेट नही किया उसका पतन निश्चित है। इसलिए इस डिजिटल युग में बने रहने के लिए डिजिटलीकरण बहुत जरूरी है। भारत में विगत कुछ वर्षो में डिजिटल क्रांति चल रही है। भारत में इंटरनेट के ग्राहकों की संख्‍या 56 करोड़ हो गई है। और 2018 में यहाँ 12.3 अरब ऐप मामले में उससे आगे है। दुनिया मे केवल चीन ही इस मामले मे उससे आगे है। दूसरे देशों के लोगो के मुकाबले भारतीय लोग ही सबसे ज्‍यादा समय सोशल मीडियापर खर्च कर रहे है। इंडोनशिया को छोड़कर तमाम दूसरे देशों के मुकाबले भारत ही सबसे ज्‍यादा तेजी से डिजिटलीकरण कर रहा है। इंडोनेशिया ने 2014के बाद इसमें 90 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। भारत में अभी वृद्धि की काफी गुंजाइश है। प्रति व्‍यक्ति आय के मामले में भारत की बराबरी करने वाला कोई भी ऐसा देश नही है। जो इन कसोटियों पर इसकी बराबरी करता हो। ऐसा क्‍यों हुआ है? इस का सरल सा जवाब है- आधार, इन्‍टरनेट, जनधन और हिंदी के कारण। अब आप सोचगें की आधार इन्‍टरनेट जनधन खाते तक तो ठीक है पर इसमें हिंदी कहाँ से आ गयी….हिंदी का तो डिजिटलीकरण से दूरदूर तक कोई नाता नजर नही आता..?



अगर आपन ऐसा सोचते है तो आपकी जानकारी अधूरी है.. आकड़ों के अनुसार हिंदी भारत के साथ पूरे विश्‍व में बोली,जाने वाली भाषा है। चीनी के बाद यह विश्‍व में सबसे अधिक बोली जानेवाली भाषा भी है।

विश्‍व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्‍व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है और भारत की बात करें तो भारत में हिंदी विभिन्‍न भारतीय राज्‍यों की 14 आधिकारिक भाषाओं और क्षेत्र की बोलियों का उपयोंग करने वाले लगभग 1 अरब लोगों की दूसरी भाषा है। हिंदी भारत में सम्‍पर्क भाषा का कार्य करती है और काफी हद तक पूरे भारत में एक सरल रूप में समझी जानेवाली भाषा है।

पिछले वर्षो में कम्‍प्‍यूटर और इन्‍टरनेट ने विश्‍व में सूचना क्रांति ला दी है। आज कोई भी भाषा कम्‍प्‍यूटर से दूर रहकर लोगो से जुड़ा नही रह सकता है। कम्‍प्‍यूटर के विकास के आरम्भिक काल में अंग्रेजी को छोड़कर विश्‍व की अन्‍य भाषाओं के कम्‍प्‍यूटर पर प्रयोग की दिशा में बहुत कम ध्‍यान दिया गया जिसके कारण सामान्‍य लोगों में यह किसी दूसरी भाषा में काम ही नही कर सकता। किन्‍तु यूनिकोड के पदार्पण के बाद स्थिति बहुत तेजी से बदल गयी। 19 अगस्‍त 2009 में गूगल ने कहा कि हर 5 वर्षो में हिंदी की साम्रगी में 98% बढोतरी हो रही है।

हिन्‍दी की इंटरनेट पर अच्‍छी उपस्थिति है। गूगल जैसे सर्च इंजन हिंदी को प्राथमिक भारतीय भाषा के रूप में पहचानते है। इसके साथ ही अब अन्‍य भाषा के चित्र मे फरवरी 2018 में एक सर्वेक्षक के हवाले से खबर आयी कि इंटरनेट की दुनिया मे हिन्‍दी ने भारतीय उपभोक्‍ताओं के बीच अंग्रेजी को पछाड़ दिया है।

जैसे-जैसे इंटरनेट का प्रसार छोटे शहरो की ओर बढ़ेगा, हिंन्दी और भारतीय भाषाओं की दुनिया का विस्‍तार होता जाएगा।

इस समय हिंदी में सजाल (websites), चिट्ठे (Blogs), विपत्र (email), गपशप (Chat), खोज (Web and Search), सरल मोबाइल संदेश (SMS) तथा अन्‍य हिन्‍दी सामग्री उपलब्‍ध है।



बस कंप्‍यूटर ही क्‍यों अब तो हर किसी की, जरूरत बन चुकें मोबाइल को ही देख लीजिये, शुरूआती दिनों मे मोबाइल की कुछ ही कंपनियं थी जिसमें हिन्‍दी समर्थन की सुविधा उपलब्‍ध थी अथवा हिंदी समर्थन होते हुए भी सभी एप्‍लीकेशन पर लागू नहीं होता था।

परन्‍तु आज सभी छोटी बड़ी कंपनियों एक से बढ़कर एक मोबाइल हिन्‍दी समर्थन की सुविधा के साथ बना रही है ताकि भारतीय बाजार मे अपनी पैठ नही बना सकें क्‍यूंकि भारतीय मोबाइल बाजार अब विश्‍व मे दूसरे स्‍थान पर अपनी छाप छोड़‍कर पहले स्‍थान पर पहुँचने को अग्रसर है।


आजकल तो मोबाइल में इस्‍तेमाल होने वाले कई महत्‍वपूर्ण एप्‍लीकेशन भी हिन्‍दी स्‍वरूप मे उपलब्‍ध है।

क्‍योकि आज का दौर ही ऐसा है हर वर्ग, हर समाज, हर आयु का उपभोक्‍ता ऐसा फोन चाहते है जिससे कि वे अपने फोन पर भी हिन्‍दी का प्रयोग कर सकें जिसमे कि हिंदी साइटो की सर्फिंग, ई-मेल, गपशप, ब्‍लॉगिंग, टि्वटिंग है। अब मोबाइल कंपनियां ऐसे हैंडसेट बना रही है जो हिंदी ओर भारतीय भाषाओं को सपोर्ट करते है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां हिन्‍दी जानने वाले कर्मचारियों को वरीयता दे रही है। हॉलीवुड की फिल्‍में हिन्‍दीे डब हो रही है और हिंदी फिल्‍म विज्ञापन उघोग की पसंदीदा ट्रांस्लिटरेशन, फोनोटिकटूल्‍स, गूगल असस्टिैन्‍ट आदि के क्षेत्र मे नई-नई रिसर्च कर अपनी सेवाओें को बेहतर कर रहा है। हिंदी और भारतीय भाषाओं की पुस्‍तकों का डिजिटलीकरण जारी है।


 
फेसबुक और व्‍हाट्सएप हिंदी और भारतीय भाषाओं के साथ तालमेल   बिठा रहे है। सोशल मीडिया ने हिंदी मे लेखन और पत्रकारिता के नए युग   का सूत्रपात किया है और कई जनान्‍दोलनों को जन्‍म देने और चुनाव   जिताने-हराने में उल्‍लेखनीय और हैरान करने वाली भूमिका निभाई है। सितम्‍बर 2018 में प्रकाशित हुई एक अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार हिंदी मे ट्वीट करना अत्‍यन्‍त लोकप्रिय हो रहा है। रिपोर्ट मे कहा गया है कि पिछलें वर्ष सबसे अधिक पुन:ट्वीट किए गये 15 सन्‍देशों मे से 11 हिंदी के थे। हिन्‍दी और अन्‍य भारतीय भाषाओं का बाजार इतना बड़ा है कि अनेक कम्‍पनियाँ अपने उत्‍पाद और वेबसाइटों हिंदी और स्‍थानीय भाषाओं मे ला रही है।

इस समय डिजिटलीकरण के युग में हिन्‍दी में संगणक के संसाधनों की भी भरमार हैं। और नित नये कम्‍प्‍यूंटिग उपकरण आते जा रहे है। लोगों मे इनके बारे मे जानकारी देकर जागरूकता पैदा करने की जरूरत है ताकि अधिकाधिक लोग कम्‍पयूटर पर हिंदी का प्रयोग करते हुए अपना, हिंदी का और पूरे हिंदी समाज का विकार करें। साथ ही नई सेवाओं का प्रयोग करके लोग अच्‍छे हिंदी साहित्‍य का लाभ अब इंटरनेट पर भी उठा सकते है।



आशा करता हूँ दोस्तों आपको डिजिटलीकरण और हिंदी लेख की जानकारी अच्छी लगी होगी।😊😊😊

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